महाण्ड और कालपुरुष इनके शरीर रक्षक और यमदूत इनके अनुचर हैं।
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महाचण्ड और कालपुरूष इनके शरीर रक्षक और यमदूत इनके अनुचर है।
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जैसे हमारे शरीर की सभी ऐच्छिक क्रियाओं का नियंत्रण मस्तिष्क करता है वैसे ही ये नाडी सभी अनचाही पर शरीर रक्षक क्रियाओं का
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ऐकमत्यम् = एकमतता ऐकांग = शरीर रक्षक दल का सिपाही, ऐकान्तिक = पूर्ण, ऐकाहिक = दैनिक ऐक्यम् = एकता आदि संस्कृत के ऐसे शब्द हैं जो ‘ ऐ ' से आरंभ होते हैं और ए की भांति ही बनने वाले शब्दों में पूर्णता दिखाते हैं।